1. आकाश और धरती के रहस्यों का सम्बन्ध अल्लाह से ही है!
2. जो आख़िरी दिन पर ईमान नहीं रखता, उसको अल्लाह रास्ता नहीं दिखाता।
3. अल्लाह नामंजूर करने वालों को रास्ता नहीं दिखाता।
4. रमज़ान को रहमतों और बरकतों वाला महीना कहा गया है।
5. कुरआन हमें इज़्ज़त और ताक़त बख़्शने आया।
6. मुराद हिदायत का नूर है, जाहिलियत के अंधेरे में रोशनी की किरन।
7. क़ुरआन मजीद की कई आयत म़ें कुरआन को नूर कहा गया है!
8. क़ुरआन मजीद किताबे हिदायत है यह मुर्दा ज़मीर के लिए नहीं है!
9. क़ुरआन किताबे हिदायत है यह उनके लिए है जो उसके मुतलाशी हों।
10. रमज़ानुल मुबारक की सबसे अज़ीम नेअमत कुरआन है।
11. रमज़ान की तीसरी फज़ीलत- हिजरी में मुक़द्दस महीने के रोजे फ़र्ज हुए
12. शबे क़द्र हज़ार महीनों से़ ज्यादा बेहतर है।
13. रमज़ानुल की दूसरी फज़ीलत लैलतुलक़द्र या शबे क़द्र हैं।
14. कुरआन की पहली 'वही' रमजान माह में गारे हिरा में नाजिल हुई।
15. क़ुरआन मजीद की एक-एक आयत में हिकमत के ख़ज़ाने पोशीदा हैं।
16. क़ुरआन मजीद के कुल हर्फ़ों की तादाद 3,23,760 है।
17. क़ुरआन मजीद की कुल आयत की तादाद 6666 है।
18. क़ुरआन हकीम 22 साल 5 माह और 14 दिन के अर्से में नाज़िल हुआ।
19. कुरआन एक ऐसा चराग़ है जिसका हक़ पर होना बजाए ख़ुद रोशन है!
20. रमज़ानुल मुबारक की सबसे अज़ीम नेअमत कुरआन है।
21. कुरआन इसलिए भेजा गया था कि हम उसे प़ढ़ें, समझें और अमल करें!
22. रमज़ान में अल्लाह की ख़ास रहमतें उतरती हैं जिससे बरकत होती है
23. अल्लाह ने मां बाप के साथ अच्छा बर्ताव करने की ताकीद की है।
24. अल्लाह उसका बदला देंगे जो कुछ अच्छे काम करते रहे होंगे।
25. जो ईमान लाए और अच्छे काम करे अल्लाह उनकी बुराइयां दूर कर देंगे
26. जो अल्लाह के रास्ते में संघर्ष करता है वह खुद के लिए करता है।
27. जो अल्लाह से मिलने की उम्मीद रखता है, तो अल्लाह उससे मिलते है।
28. जो बुरे कर्म करते हैं, उनके साथ भी बहुत बुरा होनेवाला है।
29. अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा जो झूठे हैं।
30. न समझें कि कह देने भर से छोड़ दिए जाएंगे कि हम ईमान लाए है
31. नाहक किसी मासूम के कत्ल को अल्लाह ने हराम किया है।
32. जो अल्लाह के साथ दूसरे परवरदिगार को नहीं पुकारते, गुनाह से दोचार होंगे।
33. बदक़िस्मती है कि हम कुरआन की बे-हदो हिसाब नेअमतों से महरूम हैं
34. क़ुरआन एक ऐसा चराग़ है जिसका हक़ पर होना बजाए ख़ुद रोशन है
35. रमज़ानुल तालिमो-तरबीयत और आसमानी किताबों के नुज़ूल का महीना है।
36. कुरआन मजीद में 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ हैं।
37. अल्लाह सारे संसार से परे है।
38. अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा जो सच्चे हैं।
39. जो जहन्नम की यातना हटाने की फ़रियाद करते हैं, उनकी यातना और बढ़ती है।
40. जब लोगों के बीच फैसला करो, तो न्याय पूर्वक फैसला करो।
41. यदि किसी को कुछ छूट मिल जाए तो सामान्य रीति का पालन करना चाहिए
42. मार्गदर्शन के बदले पथभ्रष्टता मोल नहीं लेना चाहिए!
43. जो अल्लाह से संबद्ध करके झूठ गढ़ते हैं, वे कभी सफल नहीं होंगे।
44. अल्लाह ही अपने बंदों की तौबा कबूल करता है और सदके लेता है।
45. जो कुछ तुम छोड़ जाओ, उसमें पत्नियों का चौथाई हिस्सा होगा।
46. अल्लाह तुम पर अपनी नेमत पूरी करता है, ताकि तुम आज्ञाकारी बनो।
47. ऐ ईमानवालो! अपने सदकों को एहसान जताकर और दुख देकर नष्ट न करो!
After Iman (Belief) and Touheed, (Unitarianism) it is obligatory on man (Banda) to know injections of Shariat (Revealed Law) and Aquaede Haqeequah (True doctrines). * Sultan Syed Makhdoom Ashraf Jahangeer Simnani
Wednesday, 22 June 2016
क़ुरान की नसीहतें
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